रामेश्वर उपाध्याय की पहचान सशक्त साहित्यकार, पत्रकार और रंगकर्मी की रही है। 1974 में जेपी की संपूर्ण क्रांति में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभायी। दो उपन्यास 'गृहयुद्ध' और 'नागतंत्र के बीच' की रचना की।उनकी कहानियाँ 'दुखवा में बीतल रतिया' में संकलित हैं। धर्मयुग, श्रीवर्षा, न्यूज़ट्रैक, नवभारत टाइम्स सरीखे पत्रिकाओं और अख़बारों में बेबाक पत्रकारिता की और भोजपुर न्यूज़ अख़बार निकाला। 19-10-97 को उनकी हत्या कर दी गई। इस ब्लॉग का मकसद, उनकी रचनाओं को जारी करना और उन्हें अपने बीच हमेशा ज़िदा रखना है।
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